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उत्तर प्रदेश मे घिनौनी राजनीति का दौर जारी

santosh kumar
santosh kumar
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उत्तर प्रदेश के सरकारो की नीतियॉ देखों कितनी संकर्णी रही है….हम यहॉ एक छोटा सा उदाहरण लेते है मायावती जी की सरकार थी तब उन्होने तमाम सामाजिक समस्या कि फ्रिक किए बिना अरबो की लागत लगाकर सामाजिक परिवर्तन स्थल बनवाया अम्बेडकर को समझे बिना अम्बेडकर को लेकर हल्ला मचाने लगी, फिर आई अखिलेश सरकार वे सैकड़े एकड़ मे बने सामाजिक परिवर्तन स्थल और काशीराम पार्क को नही देख पाए उनके हिसाब से यह पार्क मायावती जी की निजी सम्पत्ति लगी और उन्होने उसके संरक्षण के बजाय उसको शहर का एक अलग हिस्सा समझा और एक अपनी पार्क के रूप में अपनी पहचान बनायी जनेश्वर मिश्र पार्क, अखिलेश ने भी समाज को दरकिनार किया और अरबो की लागत लगा कर हजार एकड़ मे पार्क बना डाला। आज भाजपा की सरकार है लखनऊ मे यह पार्क शायद न बनाए क्योकि धार्मिकता मे लखनऊ शायद आयोध्या से पीछे है इसलिए यह शौभाग्य आयोध्या को मिलेगॉ जबकी आयोध्या मे सरकार यह जानने कि कोशिश नही करेगी जो घर बार छोड़कर आए है वहॉ बैठे है उनकी क्या समस्या है जो घर से भाग आए, अगर उनसे पूछा जाए तो शायद असलियत सामने आए कि यह राम के लिए यहॉ आए है या भुखमरी के शिकार है।
लखनऊ मे तमाम पार्क और पर्यटन स्थल के होते हुए इस सब की कोई आवश्यकता नही थी लेकिन सरकारो को अपने पहचान कि विरासत बनानी थी।
अखिलेश जी को अगर चिढ़ ही थी दो-चार मूर्ति अपने पूर्वज की वही लगा देते और भाजपा स्वच्छता का राग पूरे देश मे अलाप रही है लेकिन यह पार्क जो एक पर्यटन स्थल भी है कूड़ा का ढेर बना हुआ।
उत्तर प्रदेश मे अजीबो गरीब राजनीति हो रही है अगर किसी सरकार ने कोई काम करवा दिया तो नयी सरकार उसमे कोई दिलचस्पी नही लेती और अगर लेती है तो उसे सिर्फ कमियॉ दिखती है।
इन सब सरकारो को पार्क बनवाने से पहले सोचना चाहिए कि इस पार्क मे जितने पर्यटक आऐगें कहीं उससे ज्यादा यहॉ भिखारियों की संख्या होगी और उसमे से 50 प्रतिशत दस साल के कम के बच्चे होगे, क्या सरकारो को इनको प्राथमिकता नही देनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश के राजनीति मे कोई तालमेल नही है और सरकार बनने के बाद इनके ऊपर लोकतंत्र का कोई असर नही पड़ता। यह पार्क बनवाऐगे, धार्मिक स्थान को अनुदान देगें, खुद की पहचान और पार्टी कि विरासत खड़ी करेगे…..और इसी से हमारा पेट भरेगा और यही लोग जैसा निर्धारित करेगे वैसे जिदंगी हम जीएगें……देश मे सबसे असरदार अगर कोई चीज है तो आज की राजनीति, और अगर सबसे सहनशीलता किसी के पास है तो भारत की जनता,…..जिसे न स्वतंत्रता से , न सामनता से , न गरीबी, न बिमारी, न शिक्षा, न विकास किसी से मतलब नही यहॉ तक उसे अपनी जिदंगी से मतलब नही जैसा महौल दिया जाएेगॉ वैसा जी लेगें।

Santosh kumar(Blogger)

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